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Sakat Chauth 2025 : सकट चौथ 2025: संतान की सुख-समृद्धि के लिए भगवान गणेश को प्रसन्न करने का पावन दिन
January 16, 2025

Sakat Chauth 2025 : सकट चौथ 2025: संतान की सुख-समृद्धि के लिए भगवान गणेश को प्रसन्न करने का पावन दिन

सकट चौथ व्रत, जिसे तिलकुटा चौथ या संकट हरण चौथ भी कहा जाता है, भगवान गणेश की पूजा और संकटों से मुक्ति के लिए मनाया जाने वाला एक पवित्र पर्व है। यह व्रत विशेष रूप से माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि, और परिवार की भलाई के लिए व्रत रखती हैं। 2025 में यह पर्व 17 जनवरी को मनाया जाएगा।


सकट चौथ का धार्मिक महत्व

सकट चौथ व्रत का संबंध मुख्य रूप से भगवान गणेश से है, जिन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और सुख-शांति का वास होता है।
यह पर्व संतान की भलाई के लिए खास तौर पर मनाया जाता है। जिन महिलाओं को संतान नहीं होती, वे इस व्रत को संतान प्राप्ति की कामना से करती हैं। यह पर्व सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और पारिवारिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।


सकट चौथ व्रत विधि

सकट चौथ का व्रत और पूजा विधि बहुत ही विशेष है। इसे सही तरीके से करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।

1. व्रत की शुरुआत और संकल्प

  • व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • व्रत का संकल्प लें: “मैं सकट चौथ व्रत भगवान गणेश की कृपा से परिवार की सुख-शांति और संतान की लंबी उम्र के लिए कर रही/रहा हूं।”

2. पूजा सामग्री

पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री तैयार रखें:

  • भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र
  • तिल (सफेद और काले)
  • गुड़
  • मूंगफली
  • लड्डू (विशेष रूप से मोदक)
  • सुपारी, पान, रोली, चावल
  • दीपक और घी
  • चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए जल से भरा तांबे का लोटा

3. पूजा विधि

  • पूजा स्थल पर भगवान गणेश को स्थापित करें और उनके सामने दीपक जलाएं।
  • भगवान गणेश को तिल, गुड़, और लड्डू का भोग लगाएं।
  • उनके समक्ष धूप-दीप जलाकर पूजा करें और उनकी आरती करें।
  • गणेश मंत्र (“ॐ गण गणपतये नमः”) का जाप करें।

4. चंद्र दर्शन और अर्घ्य

  • चंद्रमा के उदय होने पर चंद्र दर्शन करें।
  • चंद्रमा को जल अर्पित करें और तिल-गुड़ अर्पित करके उनसे सुख-शांति की कामना करें।
  • इसके बाद व्रत का समापन करें।

सकट चौथ व्रत में तिल और गुड़ का महत्व

तिल और गुड़ इस व्रत में खास महत्व रखते हैं।

  • तिल को शुद्धता और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। यह शरीर को गर्म रखने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है।
  • गुड़ मिठास और ऊर्जा का प्रतीक है। इसे भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए अर्पित किया जाता है।

तिल और गुड़ से बनी मिठाई (तिलकुट, तिल लड्डू) का सेवन करना और भगवान को भोग लगाना सकट चौथ की पूजा का अभिन्न हिस्सा है।


सकट चौथ व्रत का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  • स्वास्थ्य लाभ: सर्दियों के मौसम में तिल और गुड़ शरीर को गर्मी प्रदान करते हैं और ऊर्जा बनाए रखते हैं।
  • मानसिक शांति: यह व्रत मानसिक दृढ़ता और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
  • सामाजिक जुड़ाव: इस व्रत के दौरान महिलाएं मिलकर पूजा करती हैं, जिससे आपसी सामंजस्य और भाईचारा बढ़ता है।

सकट चौथ व्रत कथा

इस व्रत के दौरान सकट चौथ की कथा सुनने या पढ़ने का विशेष महत्व है। यह कथा भगवान गणेश की महिमा और उनके आशीर्वाद से संकटों से मुक्ति की कहानी बताती है।


सकट चौथ व्रत के लाभ

  1. संतान सुख: इस व्रत को रखने से महिलाओं को संतान सुख प्राप्त होता है।
  2. कष्टों से मुक्ति: भगवान गणेश की कृपा से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।
  3. सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  4. आध्यात्मिक लाभ: यह व्रत मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने में सहायक है।

निष्कर्ष

सकट चौथ व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करने का भी एक माध्यम है। भगवान गणेश की पूजा और उनकी कृपा से जीवन के सभी विघ्न और बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। यह व्रत हर किसी के लिए प्रेरणा और शक्ति का स्रोत है।

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